आज फिर से उन पलों को जीने का मन है,
है फिर से जगी तेरे स्पर्श की चाह,
चाह है दोहराने की हर वो पल,
पल जो उस दिन गुज़ारे संग तेरे,
तेरे साथ लेट तेरी रूह में फिर से खोना है,
है करना तेरे होठों को अपने जिस्म पर फिर से महसूस,
महसूस करना है तेरी उँगलियों का वो मेरी पीठ को सहलाना,
सहलाना और तेरे हाथों का जांघों को मेरी,
मेरी गर्दन पर वो निशान तेरे दाँतों का,
दाँतों का वो निशान चाहूँ फिर से,
फिर से तेरे जिस्म से लिपटना है,
है चाहिए फिर से वो सिरहाना तेरी बाहों का मुझे,
मुझे बस अब पूरी तरह खोना है तुझमें,
खोना है तुझमे….
©so_called_kiddo