इश्तहार

अख़बार के उस इश्तहार-सी हो गयी है ज़िन्दगी,जिसे पल भर ठहर वो निहारते भी हैं,
हाथ आगे बढ़ा पास आते भी हैं,
और फिर बहक जाने के डर-से,
पन्ने पलट दिया करते हैं झट-से….

©so_called_kiddo

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